राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्वावलंबी गांवों के सपनों को साकार करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है छत्तीसगढ़ : मुख्यमंत्री
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्वावलंबी गांवों के सपनों को साकार करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के तहत गौठानों में संचालित विभिन्न आर्थिक गतिविधियों जैसे महिला स्व सहायता समूहों द्वारा वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन, बाड़ियों में सब्जियों के उत्पादन सहित अन्य आर्थिक गतिविधियों से महिलाएं और ग्रामवासियों को रोजगार के साथ आमदनी का जरिया मिला है और वे स्वावलंबन की ओर बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री आज यहाँ अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में खरीफ फसल को खुले पशुओं की चराई से बचने के लिए रोका-छेका अभियान का वर्चुअल शुभारंभ करने के बाद कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गांवों में बैठक कर रोका-छेका अभियान के लिए चरवाहों को पशुओं को एक जगह रोकने और उन्हें गौठान मे एकत्र करने की जिम्मेदारी दी जाए। सभी गांवों में एक साथ रोका-छेका किया जाए, जिससे फसलों को नुकसान नहीं हो।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि गौठानों के प्रबंधन के लिए राज्य सरकार वित्तीय संसाधन उपलब्ध करा रही है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में गौठानों को 24 करोड़ 41 लाख 50 हजार रूपए की सहायता देने की घोषणा की। इस राशि में से मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 5820 सक्रिय गौठानों के संधारण के लिए 40 हजार रूपए प्रति गौठान के मान से कुल 23 करोड़ 28 लाख रूपए की सहायता देने तथा प्रदेश के 1135 स्वावलंबी गौठानों को 10 हजार रूपए प्रति गौठान के मान से एक करोड़ 13 लाख 50 हजार रूपए की राशि देने की घोषणा की। प्रदेश के स्वावलंबी गौठान वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट के उत्पादन तथा अन्य आर्थिक गतिविधियों से होने वाली आय से स्वयं गोबर खरीदकर वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन स्व सहायता समूहों के माध्यम से कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के स्वावलंबी गौठानों की समिति और ग्रामवासियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने महिला स्व सहायता समूहों के सदस्यों से चर्चा कर उनके कार्यो की सराहना करते हुए उत्साहवर्धन किया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में बलौदाबाजार जिले के केशली गांव के गौठान, रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड के अमलीडीहा गौठान, कांकेर जिले के भावगीर नवागांव गौठान और दुर्ग जिले के रिसामा गौठान में उपस्थित गौठान समिति के प्रतिनिधियों, सरपंचों, स्व-सहायता समूहों की महिलाओं और ग्रामीणों से वीडियो कॉन्फ्रंेसिंग के माध्यम से चर्चा कर गौठानों की गतिविधियों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने आदर्श ग्राम पंचायत रिसामा की सरपंच के आग्रह पर रिसामा में मेन रोड तथा गलियों में सोलर पावर प्लांट, स्ट्रीट लाइट, तीन चौक चौराहों में हाई मास्ट सोलर संयंत्र की स्थापना तथा दैहान परिसर में 5 मीट्रिक टन क्षमता के सोलर कोल्ड स्टोरेज संयंत्र की स्थापना के लिए कुल एक करोड़ 61 लाख 93 हजार 705 रूपए की स्वीकृति की घोषणा की।
इस अवसर पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रुद्रकुमार, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ एम.गीता, कृषि विभाग के विशेष सचिव डॉ. भारतीदासन और कृषि विभाग के संचालक यशवंत कुमार उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि फसलों को खुले में चरने वाले पशुओं से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ के लिए रोका-छेका अभियान बहुत महत्वपूर्ण हैं। आज से पूरे प्रदेश में एक साथ रोका-छेका अभियान का संचालन कर पशुपालक अपने पशुओं को खुले में चराई के लिए छोड़ने के बजाय उन्हें गौठानों में भेजें, जहां चारे-पानी का प्रबंध किया गया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रदेश में अच्छी बारिश हुई है, फसलों की बुआई और थरहा लगाने का काम तेजी से शुरू हो गया है। पिछले वर्ष रोका-छेका अभियान के अच्छे परिणाम सामने आए। रोपाई का काम समय से पूरा हुआ और पशुओं से फसलों को बचाने में सफलता मिली। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष रिकार्ड 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई। इस उपलब्धि में राज्य शासन की समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना सहित किसान हितैषी योजनाओं के साथ-साथ रोका-छेका अभियान का भी महत्वपूर्ण योगदान है। यह एक शुभ संकेत है कि छत्तीसगढ़ में खेती के प्रति लोगों का रूझान बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने ग्रामीणों से कहा कि वे गांवों के गौठानों में नेपियर घास लगाएं, जिससे पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था हो सके। पशुओं के चारे के लिए मक्का चारा का भी उपयोग करना चाहिए। मवेशियों को हरा चारा मिलेगा, तो वे इधर-उधर नही जाएंगे। गौठानों में मवेशियों के लिए चारा, पानी और छांव की व्यवस्था कर दें। उन्होंने कहा कि दुधारू पशुओं को हरा चारा मिलने से उनका दूध बढ़ेगा। पैरा से केवल पेट भरता है। पशुओं को गौठानों में रखने से खेतों की फसलों को बचाने के लिए घेरा करने में होने वाले खर्च की बचत होगी। उन्होंने गौठानों में नस्ल सुधार का कार्यक्रम भी चलाने के लिए कहा।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने इस अवसर पर ग्रामीणों से वर्चुअल चर्चा करते हुए कहा कि वे राज्य सरकार की योजनाओं का अच्छा प्रचार-प्रसार करें, जिससे अधिक से अधिक किसान योजनाओं का लाभ उठा सकें। उन्होंने अमलीडीहा गौठान में उपस्थित ग्रामीणों से पूछा की कितने किसान इस वर्ष धान की फसल की जगह दूसरी फसल लेने वाले हैं। गांव के सरपंच ईश्वर पटेल ने बताया कि गांव के बहुत से किसानों ने फसल बदलने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी बताया कि महिला स्व सहायता समूह गौठान में वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन करने के साथ सब्जियों का उत्पादन, गोबर की लकड़ी बनाने का काम और अगरबत्ती निर्माण जैसी कई गतिविधियां संचालित कर रही हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ी है। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने दुर्ग जिले के रिसामा गौठान के ग्रामीणों से पूछा कि उनके गांव में कितने एकड़ में गौठान बना है। ग्रामीणों ने बताया कि 9 एकड़ में गौठान बनाया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि मवेशियों को गौठानों में एकत्र कर रखें, इसकी जिम्मेदारी गांव के चरवाहों को दी जाए। इससे खेतों की फैंसिंग का खर्च बचेगा। श्री साहू ने कहा कि गौठानों में स्व सहायता समूहों द्वारा विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जाएगा, इसलिए बड़े गौठान बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ.एम.गीता ने बताया कि प्रदेश के 5820 सक्रिय गौठानों में 416 करोड़ रूपए की लागत से अधोसंरचना विकसित की गई है। गौठानों में वर्मी बेड बनाए गए हैं, सोलर पंप और पैरा कटिंग मशीन की व्यवस्था की गई है। गोबर विक्रेताओं को गोबर के एवज में लगभग 96 करोड़ रूपए की राशि, महिला स्व सहायता समूहों को लाभांश की राशि 7 करोड़ 82 लाख रूपए तथा गौठान समितियों को 10 माह में 11 करोड़ 70 लाख रूपए की राशि वितरित की गई है। लगभग 3232 गौठानों में चारागाह विकास का काम चल रहा है। कार्यक्रम के अंत में कृषि विभाग के विशेष सचिव डॉ.एस.भारतीदासन ने आभार प्रकट किया।