जिले के 95 हजार से अधिक बच्चों ने पी पोलियो खुराक, लगभग 1.5 लाख घरों का भ्रमण कर बच्चों को पिलाई गई पोलियो खुराक
बेमेतरा(आईएसएनएस)। राष्ट्रीय पल्स पोलियों अभियान के तहत बेमेतरा जिले के कुल 95862 बच्चों ने पोलियो की खुराक पी। इस तरह पल्स पोलियो अभियान के तहत (19 से 21 जनवरी) निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष जिले का प्रदर्शन 99.67 प्रतिशत रहा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.के.शर्मा, सिविल सर्जन सह मुख्य अस्तपाल अधीक्षक डॉ. एस. के. पाल के नेतृत्व में जिले में पल्स पोलियो अभियान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. शरद कोहाडे ने बताया पोलियों जैसे गंभीर बिमारी से भारत देश को मुक्त बनाये रखने के उद्देश्य से आयोजित उक्त तीन दिवसीय अभियान में जिले के कुल 95862 ( 0 से 5 वर्ष तक) के बच्चों को पोलियों की खुराक पिलाई गई।
अभियान के प्रथम दिन यानि 19 जनवरी रविवार को पूरे जिले में 0 से 05 वर्ष के कुल 78667बच्चों को 779 बूथों के माध्यम से पोलियों की खुराक पिलाई गई। इसके साथ ही छूटे हुए बच्चों को दूसरे दिन यानि सोमवार 20 एवं 21 जनवरी को पोलियों दल के सदस्यों द्वारा घर-घर जा कर पोलियों का खुराक पिलाई गई।
जिले के निर्धारित लक्ष्य 96173 के विरूद्ध प्रथम दिन 78,667 बच्चों को पोलियो की खुराक दी गई। वहीं दूसरे और तीसरे दिन को मिलाकर जिले भर के 0 से 5 वर्ष के कुल 95862 बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई गई। इसमें 20 और 21 जनवरी को कुल 1.47 लाख से ज्यादा घरों में घरों का भ्रमण कर बच्चों को खुराक पिलाई गई। इस दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के अलावा ट्रांजिट टीम, मोबाइल टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिनों के जरिए जिले के 0 से 5 वर्ष के बच्चों को पोलियो की दवा दी गई।
यहां रहा विशेष ध्यान- अभियान के दौरान मोबाईल टीम व ट्रांजिट टीम द्वारा पहूंच विहीन क्षेत्र, ईंट भठ्ठा, बस स्टैण्ड, मलिन बस्ती, निर्माण क्षेत्र, घुमंतू समूहों के साथ-साथ घर-घर जाकर 0 से 05 वर्ष के बच्चों को पोलियों की दो बूंद पिलाकर उन्हें रोग से प्रतिरक्षित किया गया। कार्यक्रम को सफलता पूर्वक संचालित किये जाने हेतु स्वास्थ्य विभाग ने पोलियों वैक्सीन को उचित माध्यम द्वारा जिले में संचालित कुल 23 कोल्ड चैन प्वाईंट के माध्यम से बूथों और अन्य स्थानों पर उपलब्ध कराई गई। इसी प्रकार महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाडी कार्यकर्ताओं एवं मितानिन दीदी द्वारा अभियान में बूथ एवं घर-घर भ्रमण कर बच्चों को पोलियों की दवा पिलाकर प्रतिरक्षित किया गया।