उत्थान अनुदान दिव्यांगजन के हौसले, ईमानदारी और मेहनत का प्रतीक : श्रीमती भेंड़िया

रायपुर(आईएसएनएस)। समाज कल्याण मंत्री अनिला भेंड़िया ने आज राजधानी के फाॅरेस्ट काॅलोनी स्थित अपने निवास में दिव्यांग हितग्राहियों को उत्थान अनुदान (सब्सिडी) का प्रतीकात्मक चेक प्रदान किया। इसमें रायपुर जिले के 4, कबीरधाम जिले के 6 और मुंगेली जिले के 3 दिव्यांग शामिल हुए। राज्य में पहली बार सरकार द्वारा नियमित ऋण पटाने वाले 81 हितग्राहियों को ऋण की पूर्ण अदायगी पर 6 लाख 46 हजार रूपये की छूट स्वीकृत की है। दिव्यांग हितग्राहियों द्वारा लोन की पूरा अदायगी पर उन्हें ब्याज राशि का 25 प्रतिशत उत्थान सब्सिडी के रूप में प्रदान किया गया। छत्तीसगढ़ निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम द्वारा दिव्यांगजन को स्वरोजगार के लिए ऋण प्रदान किया गया था। सब्सिडी का चेक पाकर दिव्यांगजन के चेहरे खिल उठे।

समाज कल्याण मंत्री श्रीमती भेंड़िया ने इस अवसर पर कहा कि दिव्यांग हितग्राहियों द्वारा स्वरोजगार के लिए गए ऋण का पूरा भुगतान उनकी इमानदारी और आगे बढ़ने के जज्बे को दर्शाता है। प्रदान की गई सब्सिडी दिव्यांगजन के हौसले और मेहनत का प्रतीक है। श्रीमती भेंड़िया ने दिव्यांगजन से कहा कि मेहनत कर आगे बढ़ें, सरकार उनकी हर संभव मदद के लिए तैयार है। श्रीमती भेंड़िया ने जिला अधिकारियों को सभी पात्र दिव्यांग हितग्राहियों के लिए सब्सिडी का चेक प्रदान करते हुए उनके खातों में राशि शीघ्र अंतरित करने के निर्देश दिए।

उल्लेखनीय हैं कि छत्तीसगढ़ निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम ने अब तक 2 हजार 787 दिव्यांग हितग्राहियों को 73 करोड़ 98 लाख रूपये की ऋण राशि का वितरण कर स्वालंबन की मुख्य धारा से जोड़ा है। राज्य सरकार ने छह जिलों के 81 दिव्यांगजनों द्वारा ऋण का पूरा भुगतान करने पर 6 लाख 46 हजार रूपए की छूट स्वीकृत की है। इनमें जशपुर जिले के 51, कबीरधाम जिले के 19, मुंगेली जिले के 4, रायपुर जिले के 4, सुकमा जिले के 2 और गरियाबंद जिले के एक दिव्यांग शामिल है। इनमें से मुंगेली जिले की श्रीमती सहोदरा बाई ने किराना दुकान, कुमारी लच्छो बी खान ने बकरी पालन, रायपुर के श्री महावीर यादव ने कपड़ा दुकान और कबीरधाम के श्री सुरेश कुमार साहू ने ट्रेक्टर के लिए लोन लिया था, जिसकी पूरी अदायगी पर उन्हें छूट की राशि मिली। इसी तरह अन्य दिव्यांग हितग्राहियों ने निगम से लोन लेकर किराना दुकान, बकरी पालन, कपड़ा दुकान जैसे स्वरोजगार की राह अपनाई और सफल रहे।

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