गोबर से बिजली बनाकर छत्तीसगढ़ के गांव बनेंगे बिजली के उत्पादन में आत्मनिर्भर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्वावलंबी गांवों की परिकल्पना के अनुसार अब छत्तीसगढ़ के गांव आत्मनिर्भर बन रहे हैं। जल्द ही गोबर से बिजली उत्पादन कर अब छत्तीसगढ़ के गांव बिजली के मामले में भी आत्मनिर्भर बनेंगे। उन्होंने कहा कि गोबर से बिजली बनाने की शुरूआत तीन गौठानों रायपुर, बेमेतरा और दुर्ग जिले के एक-एक गौठान से की गई है। इसका विस्तार सभी गौठानों में करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। श्री बघेल ने कहा कि अब प्रदेश में मिशन मोड में गोधन न्याय योजना का संचालन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय में पशुपालकों, गोबर संग्राहकों को गोबर खरीदी, लाभांश के रूप में महिला स्व-सहायता समूहों तथा गौठान समितियों के खाते में कुल 7 करोड़ 36 लाख रूपए की राशि का ऑनलाईन अंतरण करने के बाद कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, कृषि विभाग के विशेष सचिव एवं गोधन न्याय योजना के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. एस. भारती दासन उपस्थित थे।
गोबर से बिजली बनाकर छत्तीसगढ़ के गांव बनेंगे बिजली के उत्पादन में आत्मनिर्भर: श्री भूपेश बघेल
गोधन न्याय योजना: मुख्यमंत्री द्वारा पशुपालकों-संग्राहकों, महिला स्व-सहायता समूहों और गौठान समितियों को कुल 7.36 करोड़ रूपए की राशि का अंतरण
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— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) October 11, 2021
मुख्यमंत्री ने 16 सितम्बर से 30 सितम्बर तक खरीदे गए गोबर के एवज में पशुपालकों और गोबर संग्राहकों के खाते में एक करोड़ 87 लाख रूपए, लाभांश की राशि के रूप में महिला स्व-सहायता समूह को 2 करोड़ 14 लाख रूपए तथा गौठान समितियों को 3 करोड़ 35 लाख रूपए की राशि का अंतरण किया। गोबर खरीदी के एवज में गोधन न्याय योजना शुरू होने के बाद अब तक 104 करोड़ 41 लाख रूपए, लाभांश राशि के रूप में महिला स्व-सहायता समूहों और गौठान समितियों को कुल 62 करोड़ 92 लाख रूपए की राशि का भुगतान किया गया है। इसमें से महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 25 करोड़ 2 लाख रूपए और गौठान समितियों को 37 करोड़ 90 लाख रूपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना से प्रदेश के 84 हजार 469 भूमिहीन लोग भी लाभान्वित हो रहे है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि गौठानों में महिला स्व-सहायता समूह अब वर्मी कम्पोस्ट बनाने तक सीमित नहीं रहेंगे। गौठानों में राज्य और केन्द्र सरकार की योजनाओं की मदद से विभिन्न रोजगारमूलक गतिविधियां प्रारंभ की जाएंगी। गौठानों में धान कूटने, तेल पेराई की मशीनें लगाई जाएंगी और लोहारी तथा जूता निर्माण के उद्यम भी प्रारंभ किए जाएंगे। उन्हांेने कहा कि गौठानों में जैविक खाद बनाने, सामुदायिक बाड़ियों से सब्जियों, मशरूम का उत्पादन, मछली पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, पशु-पालन, गोबर का दीया, गमला, अगरबत्ती निर्माण और अन्य गतिविधियों में 09 हजार 211 स्व-सहायता समूह जुड़े हुए हैं। इन गतिविधियों से 67 हजार से ज्यादा सदस्यों को आय हो रही है। स्व सहायता समूहों के सदस्यों ने इन गतिविधियों से अब तक 43 करोड़ 72 लाख रुपए की आय प्राप्त कर ली है। गोबर से जैविक खाद बनाने के साथ अब स्व-सहायता समूह बिजली बनाकर भी आय प्राप्त करेंगे। गौठानों में उत्पादित होने वाले बिजली सरकार द्वारा खरीदी जाएगी। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना के मिशन मोड में संचालन के लिए गोधन न्याय मिशन का गठन किया जा रहा है। जिसके तहत गौठानों में जरूरी अधोसंरचनाओं का निर्माण तेजी से किया जाएगा। किसानों, पशुपालकों, स्व-सहायता समूहों और गौठान समितियों के आय में बढ़ोत्तरी के उपाय किए जाएंगे। गांवांे में बन रहे गौठान आने वाले समय में पूरे राज्य की ताकत बनेंगे।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि गोधन न्याय योजना का संचालन अब मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार मिशन मोड में किया जाएगा। महिला स्व-सहायता समूह अब केवल वर्मी कम्पोस्ट बनाने तक सीमित नहीं रहेंगे। रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना के तहत विभिन्न आयमूलक गतिविधियां चिन्हित कर गौठानों में प्रारंभ की जाएंगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर गोधन न्याय योजना की सराहना की जा रही है। हर 15 दिन में गोबर खरीदी की राशि का भुगतान किया जा रहा है। इस योजना के संचालन के लिए कृषि विभाग को नोडल विभाग बनाया गया। इस योजना को और अधिक गति प्रदान करने के लिए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को भी इससे जोड़ा जाएगा।
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कार्यक्रम में कहा कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 250 गौठानों में कस्टम प्रोसेसिंग सेंटर प्रारंभ किए जाएंगे, इसके लिए प्रत्येक गौठान को 8 लाख रूपए की राशि दी जाएगी, इससे वहां मिनी राईस मिल सहित दाल, खाद्य तेल, मुर्रा, मसाला, तीखुर प्रोसेसिंग की इकाईयां लगाई जाएंगी। इसी तरह 2 हजार गौठान समितियों को विभिन्न उपकरणों की व्यवस्था के लिए 20-20 हजार रूपए की राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि हरा चारा विकास के लिए 50 लाख रूपए की राशि रखी गई है। चयनित आदिवासी बहुल विकासखण्डों में 3-3 करोड़ रूपए की राशि से सेटेलाईट हेचरी विकसित की जाएगी। उन्हांेने बताया कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से प्रदेश के एक लाख 81 हजार से अधिक पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं। प्रदेश में 10 हजार 501 गौठानों की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 7 हजार 460 गौठान निर्मित हो चुके हैं। गोधन न्याय योजना में अब तक 52 लाख 21 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है।