समय पूर्व जन्में शिशु को केवल 9 माह में मिली कुपोषण से मुक्ति, चारामा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन और माता-पिता ने जीती जंग

रायपुर। आंगनबाड़ियों के माध्यम से संचालित मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान ने चारामा में समय पूर्व जन्मे एक कुपोषित शिशु को कुपोषण से मुक्ति दिलाई है। केवल 9 माह में शिशु सुपोषित होकर सामान्य श्रेणी में आ गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन और शिशु के माता-पिता ने शिशु को कुपोषण से मुक्ति दिलाने की जो जंग छेड़ी थी, उसमें उन्हें विजय हासिल हुई है।

एकीकृत बाल विकास परियोजना चारामा के पुरी पर्यवेक्षक सेक्टर के अन्तर्गत ग्राम पंचायत किशनपुरी के आंगनबाड़ी केन्द्र किशनपुरी क्र.- 1 में जितेश्वर साहू का परिवार निवास करता है। जितेश्वर एवं यामिनी साहू को गत वर्ष 2 जून 2020 को कांकेर के कोमलदेव जिला चिकित्सालय में पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। शिशु का जन्म समय पूर्व हुआ था। जन्म के समय उसका वजन केवल 1 किलो 600 ग्राम था, जो कि गम्भीर कुपोषित की श्रेणी में था।

शिशु राजीव नैना की माता यामिनी साहू एवं पिता जितेश्वर साहू द्वारा बच्चे को जिला चिकित्सालय से घर वापस लाने पर सर्वप्रथम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ममता कुलदीप एवं गाँव की मितानिन द्वारा गृहभेंट कर बच्चे के जन्म के समय की जानकारी ली गई। उनके द्वारा बच्चे के माता-पिता को परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में यह समझाया गया कि जिस प्रकार मादा कंगारू अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखती है, ठीक उसी प्रकार प्रत्येक माता को बच्चे को प्यार-दुलार देते हुए बार-बार स्तनपान कराना चाहिए। इसके अतिरिक्त माता के आहार एवं खानपान तथा माँ-बच्चा की स्वच्छता के बारे में भी सेक्टर पर्यवेक्षक ममता सुखदेवे एवं ए.एन.एम. द्वारा गृह भेंटकर समझाइश दी गई।

प्रतिमाह आँगनबाड़ी केन्द्र में वजन कराने के दौरान ग्रोथ चार्ट के माध्यम से बच्चे का वजन एवं उसके महत्व के बारे में बताया गया। सातवें माह में आँगनबाड़ी केन्द्र में सुपोषण चौपाल में बच्चे का अन्नप्राशन करवाया गया। इस दौरान कटोरी के द्वारा माप के अनुसार बच्चे को रेडी-टू- ईट फूड एवं स्थानीय खाद्य पदार्थों को मसलकर खिलाने हेतु ‘टेक अवे सतत सीख प्रक्रिया’ का प्रदर्शन कर बताया गया। समय-समय पर मुख्यमंत्री बाल सन्दर्भ योजना के तहत बच्चे को लाभान्वित किया गया। इसके अतिरिक्त रंगोली के माध्यम से स्थानीय फलों एवं सब्जियों का प्रदर्शन करके भी बताया गया। उनके घर में मुनगा के कुछ पेड़ लगाए गए तथा प्रतिदिन खाने में मुनगा भाजी का उपयोग तथा उनके फायदे के बारे में बताया गया।

मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के अन्तर्गत प्रतिदिन शाम को कोदो की खिचड़ी एवं रागी का हलवा तथा अण्डा का सेवन सुपोषण दूत डिक्लेश निर्मलकर एवं आंगनवाड़ी सहायिका श्रीमती जागेश्वरी के द्वारा अपने समक्ष कराया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि 9 माह में गम्भीर कुपोषित शिशु राजीव नैना सुपोषित होकर सामान्य ग्रेड में आ गया। अब राजीव एक वर्ष का हो चुका है एवं उनका वजन 8 किलो 300 ग्राम हो गया है। इसतरह राजीव नैना और उसका परिवार ‘कुपोषण की जंग’ में विजयी हो चुका है।

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