राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव : छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के मुख्यमंत्रियों ने ठोड़का और तुरही के साथ की जुगलबंदी
रायपुर। राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान पर चल रहे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दौरान दो आदवासी बाहुल्य राज्यों छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के मुख्यमंत्रियों ने भी पारंपरिक वाद्य ठोड़का और तुरही बजाकर जुगलबंदी की। झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जब ठोड़का बजाना शुरू किया तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तुरही बजाकर उनका साथ दिया। यह दिलचस्प नजारा जनसंपर्क विभाग द्वारा लगाए गए स्टॉल पर नजर आया। इस स्टॉल में जनजातीय समुदायों में प्रचलित पारंपरिक वाद्य यंत्रों को प्रदर्शित किया गया है।
राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव-राज्योत्सव 2021 के मुख्य अतिथि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ आयोजन स्थल में छत्तीसगढ़ शासन के विभिन्न विभागों द्वारा लगायी गई विकास प्रदर्शनी का शुभारंभ कर उसका अवलोकन किया। मुख्यमंत्री द्वय ने जल संसाधन विभाग, लोक निर्माण विभाग, कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आजीविका गुड़ी (आरआईपीए) के स्टालों का निरीक्षण कर उनके कार्य प्रणाली से अवगत हुए।
पारंपरिक वाद्य ठोड़का और तुरही वादन। @HemantSorenJMM #TribalFestivalCG pic.twitter.com/hMusvkNZqT
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 28, 2021
आजीविका गुड़ी (आरआईपीए) में लघु वनोपज प्रसंस्करण इकाइयों के निरीक्षण के दौरान उन्होंने मिनी ऑयल मिल, मिनी दाल मिल और मुर्रा, चना, लाई, पॉपकार्न फोड़ने जैसे अन्य लघु इकाइयों की कार्य प्रणाली का अवलोकन किया। इस दौरान श्री सोरेन ने छत्तीसगढ़ी मुर्रा का स्वाद भी चखा।
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव:
छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के मुख्यमंत्रियों ने ठोड़का और तुरही के साथ की जुगलबंदी
श्री सोरेन और श्री बघेल ने आदिवासी जीवन शैली और विकास योजनाओं पर केंद्रित प्रदर्शनी का किया उद्घाटन#TribalFestivalCG
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— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) October 28, 2021
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने मुख्य अतिथि श्री सोरेन को कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा सुराजी गांव योजना के तहत निर्मित गौठान का मॉडल दिखाकर वहाँ संचालित होने वाली आजीविका सम्बंधित गतिविधियों से अवगत कराया। इसके साथ ही इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने विश्वविद्यालय में उत्पादित किये जा रहे रागी आटा, कोदो, चावल, हर्बल गुलाल एवं चावल की विभिन्न प्रजातियों के बारे में बताया।