विश्वविद्यालयों का कार्य केवल डिग्री देना ही नहीं, समाज और प्रदेश की समस्याओं का प्रभावी और वैज्ञानिक हल खोजना भी है : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि विश्वविद्यालयों का कार्य केवल डिग्री देना नहीं, समाज और राज्य की समस्याओं का प्रभावी और वैज्ञानिक हल खोजना भी है। मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय में राज्य योजना आयोग और राज्य के 14 विश्वविद्यालयों एवं 4 उच्च शैक्षणिक संस्थानों ट्रिपल आईटी, आईआईएम, एम्स और आईआईटी कुल 18 शैक्षणिक संस्थानों के मध्य शोध एवं अनुसंधान के लिए आयोजित वर्चुअल ऑनलाइन एमओयू हस्ताक्षर कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में राज्य के समावेशी विकास में इन उच्च शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी सुनिश्चित करने और उनके ज्ञान और कौशल से स्थानीय और कृषि, उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं के प्रभावी और वैज्ञानिक समाधान, अनुसंधान, अध्ययन और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए तीन वर्षों के लिए एमओयू किया गया। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है, जहां राज्य के विकास में उच्च शैक्षणिक संस्थानों की सक्रिय भागीदारी होगी। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, योजना और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, राजेश तिवारी और रूचिर गर्ग भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। एमओयू में राज्य योजना आयोग के अधिकारी और संबंधित शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए। इस कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्य योजना के सदस्य डॉ. के. सुब्रमणियम, सदस्य सचिव अनुप कुमार श्रीवास्तव, प्रदेश के 14 विश्वविद्यालयों के कुलपति, रजिस्ट्रार, विद्यार्थी और 4 उच्च शैक्षणिक संस्थानों के निदेशक जुड़े।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य योजना आयोग और इन संस्थानों के मध्य एमओयू के माध्यम से प्रदेश की विशिष्ट समस्याओं और दिक्कतों की पहचान कर उन पर अनुसंधान, अध्ययन, नवाचार द्वारा समाधान ढूंढे जा सकेंगे और इन संस्थानों में उपलब्ध ज्ञान कौशल का उपयोग राज्य की जनता कर सकेगी। इन संस्थानों की उपलब्धियों का लाभ आम आदमी को मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि, रोजगार, ग्रामीण विकास, कुटीर उद्योगों से लेकर बड़े उद्योगों तक की समस्याओं और सामाजिक समस्याओं के वैज्ञानिक ढ़ंग से सरल समाधान हो, इसमें उच्च शैक्षणिक संस्थानों की फैकल्टी, प्रतिभावान विद्यार्थियों के ज्ञान और कौशल का लाभ मिले, इस उद्देश्य से यह एमओयू आज किया गया है। इससे विशेषज्ञों और विद्यार्थियों को प्रदेश की जमीनी समस्याओं से रू-ब-रू होने का मौका मिल सकेगा। आने वाले समय में इसका लाभ प्रदेश, प्रदेशवासियों और देश को मिलेगा।
राज्य के समावेशी विकास में इन उच्च शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी सुनिश्चित करने और उनके ज्ञान और कौशल से स्थानीय और विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं के प्रभावी समाधान, अनुसंधान, अध्ययन और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए यह एमओयू किया गया।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 20, 2020
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस एमओयू के तहत राज्य योजना आयोग के समन्वय के साथ उच्च शैक्षणिक संस्थानों में बनने वाले ’शोध और अनुसंधान प्रकोष्ठ’ में लघु वनोपजों के वेल्यू एडिशन, कृषि उत्पादों, उद्यानिकी, फसलों में वेल्यू एडिशन, कृषि और उद्यानिकी फसलों पर आधारित उद्योगों को खोलने के संबंध में भी अध्ययन और अनुसंधान किया जाएगा। राज्य में कुटीर उद्योगों के विकास और राज्य में उत्पादित इस्पात और एल्युमिनियम पर आधारित वेल्यू एडिशन के सहायक उद्योग जैसे सायकल बनाने के उद्योग और आटोमोबाइल उद्योगों के विकास में भी मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में उद्योगों के लिए बिजली, कच्चा माल और कुशल मानव संसाधन उपलब्ध है। उच्च शैक्षणिक संस्थानों की मदद से प्रदेश में वेल्यू एडिशन के उद्योगों की स्थापना के लिए उद्योगपतियों को छत्तीसगढ़ लाने में और लोगों को हुनरमंद बनाने में भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में इस कार्यक्रम में शोध और अनुसंधान के लिए स्थापित कोऑडिनेशन यूनिट का शुभारंभ किया।
योजना और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक अवसर है, जब राज्य के उच्च शैक्षणिक संस्थानों और तकनीकी संस्थानों की प्रतिभाओं को राज्य के विकास में भागीदार बनाने की शुरूआत की जा रही है। इन संस्थानों के अनुसंधान केन्द्रों के माध्यम से प्रदेश के विकास की दिशा तय होगी। मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि हावर्ड विश्वविद्यालय के अनुभव के आधार पर राज्य सरकार राज्य की प्लानिंग की मूल इकाई उच्च शैक्षणिक संस्थानों में स्थापित करना चाहती है, जहां राज्य की ग्रास रूट प्लानिंग पर विचार-विमर्श हो। राज्य सरकार की योजनाओं के मूल्यांकन का कार्य भी शैक्षणिक संस्थानों में हो, इसके लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में ’रिसर्च एंड डेव्हलपमेंट’ के लिए विशेष सेल बनेगा।
राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा अनुसार राज्य योजना आयोग की भूमिका नीति आयोग की तर्ज पर थिंक टैंक के रूप में होगी। उन्होंने राज्य योजना आयोग द्वारा नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी, गोधन न्याय योजना की रूपरेखा बनाने में दिए गए योगदान तथा गौठानों में रोजगार केन्द्र विकसित करने, एथेनॉल उत्पादन, कोविड-19 संक्रमण के दुष्प्रभावों के शमन की रणनीति तैयार करने, कोविड सहायता पटल वेबसाईट जैसे योजना आयोग के कार्यो की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि योजना आयोग में शोध अनुसंधान विंग की स्थापना की गई है। पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केशरी लाल वर्मा और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय डॉ. एस.के.पाटिल ने भी इस पहल को प्रदेश के विकास के लिए एक नए अध्याय की शुरूआत बताया। योजना आयोग को अपने कार्यक्रमों और योजनाओं के लिए विद्यार्थियों का सहयोग प्राप्त हो सकेगा।