व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ के कोसे की रेडीमेड कपड़ों और खादी को लेकर दिख रही लोगों की दिलचस्पी उमड़ रही ग्राहकों की भीड़
रायपुर। नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे 39वें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ के पवेलियन में ग्राहकों की भारी भीड़ उमड़ रही है। यहाँ लोगों को छत्तीसगढ़ की हैंडलूम उत्पाद खासा आकर्षित कर रहे हैं। मेले में छत्तीसगढ़ से पहली बार लेकर आए सिल्क कोसे की रेडीमेड कपड़ों को लेकर लोग काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के पंडाल हाल नंबर 12 ए में वहां के कारीगरों द्वारा हस्तनिर्मित कपड़ों समेत अन्य चीजों की लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं। जिसमें सर्वाधिक सिल्क के रेडीमेड और खादी के कपड़ों की मांग दिख रही है। प्रदेश के बुनकर रेडीमेड कपड़ों में सिल्क कोसे की ब्लाउज, शर्ट, कुर्ते-कुर्तियां, जैकेट, साड़ियाँ आदि लेकर पहुंचे हैं। मेले मे खरीदारी करने पहुंचे रोहिणी के प्रातीभ गौतम का कहना है कि मेले के लगभग सभी स्टालों में महिलाओं के ही कपड़े नजर आते हैं, छत्तीसगढ़ के स्टाल में पहली बार पुरुषों के लिए भी कोसे की शर्ट और कुर्ते उचित कीमत पर उपलब्ध है, जिसकी मुझे खुशी है। वहीं इंदिरापुरम की रहने वाली पूनम का कहना है कि छत्तीसगढ़ कि कोसे की साड़ियाँ पहले ही ट्राई की हुई है, इसलिए मैं हमेशा यहीं से खरीददारी करती हूँ, मुझे साड़ियों के प्रिंट और प्राकृतिक रंग पसंद आते हैं। वहीं खादी एवं ग्रामोद्योग द्वारा लगाए गए स्टाल में हाथ से बने टॉवल, सूट, बैग आदि रखे गए हैं। इसके अलावा व्यापार मेले में कोसे की ड्रेस मटेरियल, हैंडलूम फेब्रिक, प्राकृतिक रंगों से तैयार कपड़े उपलब्ध हैं। स्टॉल संचालकों का कहना है कि लोग प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए कपड़ों को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। वहीं, खादी एवं ग्राम उद्योग के स्टाल पर छोटी-छोटी शीशियों में सुगंधित तेल उपलब्ध है। विभिन्न पौधों से तैयार तेल को खुशबू के साथ ही अपनी मेडिसिनल वैल्यू की वजह से लोग काफी पसंद कर रहे हैं। वहीं केमिकल फ्री साबुन, अगरबत्ती आदि उत्पाद भी शामिल है।
भा रही छत्तीसगढ़ के कोसे की साड़ियाँ
छत्तीसगढ़ की सिल्क साड़ी का जलवा मेले में अलग ही नजर आ रहा है। प्रदेश के बुनकर कोसे सिल्क से तैयार की गई साड़ियाँ लेकर पहुंचे हैं। जिसकी कीमत 2000 से शुरू होकर 15000 रुपए तक है। यह साड़ी आपको कई रंगों में यहां मिल रही है, जो मेला देखने पहुंच रही महिलाओं को काफी पसंद भी आ रही है। इन साड़ियों में आदिवासी संस्कृति की झलक दिख रही है। इनमें खापा टैम्पल, जाला बूटा आदि विभिन्न वेराइटी की साड़ियाँ उपलब्ध है।