महानगरों में घुलेगी बस्तर के पपीते की मिठास, अपनाई जा रही है इजराईल, आस्ट्रेलिया जैसे देशों आधुनिक खेती तकनीक

जगदलपुर। बस्तर का पपीता अब महानगरों में भी अपनी मिठास घोलेगा। दरभा विकासखण्ड के तीरथगढ़, मुनगा और मामड़पाल में लगभग तीस एकड़ में पपीते की खेती आधुनिक तरीके से की जा रही है। बस्तर जिले का दरभा क्षेत्र अपनी परम्परागत खेती के लिए जाना जाता था, मगर अब इस क्षेत्र में महिला स्वसहायता समूहों की सदस्यों द्वारा बस्तर जिला प्रशासन, उद्यानिकी विभाग और बस्तर किसान कल्याण संघ के सहयोग और मार्गदर्शन में पपीते की उन्नत खेती की जा रही है। इसके लिए इजराईल और आष्ट्रेलिया जैसे देशों में अपनाई जा रही तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।

सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बस्तरवासियों को दिए जा रहे विकास कार्यों की सौगात के दौरान तीरथगढ़ की हेमा कश्यप ने बताया कि वे 10 एकड़ में पपीते की खेती कर रही हैं और यहां अमीना किस्म के पपीते के पौधे लगाए गए हैं। एक एकड़ में 550 द्विलिंगी पौधे लगाए गए हैं और इन पौधों को लगाने से पहले इनकी डीएनए की जांच भी की गई है। इन पौधों में लगे पपीतों की गुणवत्ता और मिठास बहुत अधिक होती है। इसका वजन भी अधिक होता है तथा अपने मध्यम आकार के कारण इनका परिवहन भी आसान होता है, जिसके कारण इनका बेहतर दाम मिलने की संभावना अधिक है। इसके लिए प्रशासन द्वारा भूमि से लेकर अन्य कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं, जिनमें नलकूल, फेंसिंग, पम्प, ड्रिप सिंचाई संयंत्र आदि शामिल हैं।

बस्तर किसान कल्याण संघ द्वारा पौधे उपलब्ध कराने के साथ ही भूमि का समतलीकरण किया गया है। खेत की तैयारी उन्हीं के मार्गदर्शन में हुई है। संघ द्वारा प्रत्येक 15 दिन में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके साथ ही फसल की पहली तोड़ाई तक खाद एवं दवा भी उपलब्ध कराई गई है। यहां खाद एवं दवा की निश्चित मात्रा में आपूर्ति के लिए आटोमेशन मशीन और मौसम पर नजर बनाए रखने के लिए वेदर स्टेशन भी स्थापित किया गया है। फसल को आकाशीय बिजली के प्रकोप से बचाने के लिए तड़ित चालक भी स्थापित किया जा रहा है। बस्तर किसान कल्याण संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि दरभा में जनवरी में पपीते के पौधों को लगाया गया है और अब उसमें फल आ रहे हैं।

सितम्बर तक इन फलों की तोड़ाई शुरु हो जाएगी तथा इन पपीतों को खरीदने के लिए दिल्ली सहित कई महानगरों के व्यापारी लालायित हैं। उन्होंने बताया कि बस्तर में जब पपीते के फल बिक्री के योग्य हो जाएंगे, उस समय आम तौर पर अन्य स्थानों से बाजार में पपीते के फल की आवक नहीं रहती है, जिससे यहां के किसानों को अच्छा दाम मिलने की उम्मीद है। यहां प्रति एकड़ लगभग 100 टन पपीते का उत्पादन होगा और यहां के किसानों को दस एकड़ में लगभग एक करोड़ रुपए की आमदनी होगी। मुख्यमंत्री ने दरभा क्षेत्र में की जा रही पपीते की खेती पर खुशी जताते हुए पपीता उत्पादक समूहों की सदस्यों को शुभकामनाएं दी और इस प्रयास की प्रशंसा की।

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