मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान : अब तक 2.76 लाख लोगों तक पहुंची मलेरिया टीम

रायपुर(आईएसएनएस)। बस्तर को मलेरिया मुक्त करने के लिए 15 जनवरी से शुरू ’मलेरिया मुक्त बस्तर’ अभियान के अन्तर्गत मलेरिया जांच टीम अब तक संभाग के 2 लाख 76 लाख व्यक्तियों तक पहुंच चुकी है। इन 2.76 लाख व्यक्तियों की जांच की गई है, जिसमें 12 हजार 827 व्यक्तियों में मलेरिया पॉजीटिव पाया गया है। अब तक पाए गए मलेरिया पॉजीटिव प्रकरणों में से 22.9 प्रतिशत पुरूष, 25.2 प्रतिशत महिला और 50.2 प्रतिशत 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे पाये गये हैं। इस अभियान के दौरान अब तक 3255 गर्भवती माताओं की रक्त जांच की गई, जिसमें 216 महिलाओं में मलेरिया पॉजीटिव पाया गया। बस्तर जिले में 51 हजार 977 व्यक्तियों की मलेरिया जांच की गई जिसमें 919 व्यक्ति मलेरिया पॉजीटिव पाये गये। यहां यह उल्लेखनीय है कि पॉजीटिव पाये गये प्रकरणों में अधिकतर प्रकरण लक्षण रहित थे।

मलेरिया उन्मूलन के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि मलेरिया की जांच और उपचार के साथ मलेरिया टीम द्वारा मच्छर लार्वा के स्त्रोत नियंत्रण के लिए भी की जा रही है। अभियान के दौरान अब तक 773 घरों में मच्छर के लार्वा पाये गये हैं, जिसे सर्वे दल द्वारा नष्ट किया गया है। उन्होंने बताया कि सुकमा जिले में 5477 व्यक्ति, दंतेवाड़ा जिले में 2180 व्यक्ति, बीजापुर जिले में 2282 व्यक्ति, नारायणपुर जिले में 1837 व्यक्ति, कोण्डागांव जिले में 109 व्यक्ति तथा कांकेर जिले में 23 व्यक्ति मलेरिया पॉजीटिव पाए गए हैं।

डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि राज्य में मलेरिया के मुख्यतः दो प्रकार पाये जाते है-पी.व्ही एवं पी.एफ। यदि व्यक्ति में दोनों प्रकार के मलेरिया पाया जाता है उसे मिश्रित संक्रमण कहा जाता है। सही समय पर ईलाज करने से मलेरिया से मुक्ति मिल सकती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ तब राज्य का वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) 16.80 था, जो कम होकर वर्ष 2019 में 1.97 है। वर्तमान में भारत का वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) 0.21 है। परंतु आज भी बस्तर संभाग के 16 विकासखण्ड का वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) 10 से अधिक है। राज्य में मलेरिया के कुल प्रकरणों में से 64 प्रतिशत प्रकरण आज भी बस्तर संभाग में पाये जाते है।

अभियान से होने वाले लाभ:-

बस्तर में अनीमिया और कुपोषण का एक बड़ा कारण मलेरिया है। मलेरिया संक्रमण से रक्त की कमी हो जाती है जिससे एनीमिया की स्थिति निर्मित होती है। साथ ही मलेरिया के कारण हीमोलिसिस होने से प्रोटीन तथा शरीर के अन्य पोषक तत्वों का भी हृास होता है, जो कुपोषण का कारण बनता है। अतः मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान न केवल मलेरिया से मुक्ति दिलायेगा परंतु एनीमिया, कुपोषण, शिशु एवं मातृ-मृत्यु दर में कमी लाने में कारगर सिद्ध होगा।

अभियान के तीन चरण:-

पिछले तीन सालों के आंकड़ों का यदि विश्लेषण किया जाये तो बस्तर संभाग में साल में तीन बार-जनवरी, जुलाई एवं नवंबर माह में मलेरिया के सर्वाधिक प्रकरण पाये जाते है। वर्तमान में ‘‘मलेरिया मुक्त बस्तर‘‘ अभियान का प्रथम चरण चलाया जा रहा है। इसी वर्ष जुलाई एवं नवंबर माह के पूर्व अभियान के द्वितीय एवं तृतीय चरण चलाये जायेंगे ताकि मलेरिया परजीवी को समूल नष्ट किया जा सके। साथ ही वर्तमान में समुदाय के लोगों की पूर्ण स्क्रीनिंग एवं ईलाज किये जाने से माह जुलाई में मलेरिया संक्रमण में कमी भी आयेगी।

अभियान की प्रमुख गतिविधियां :-

चिन्हाकित क्षेत्र में 1720 सर्वे दल द्वारा लगभग 14 लाख व्यक्तियों की रक्त जांच आर.डी. टेस्ट के माध्यम से की जा रही है। मलेरिया धनात्मक पाये जाने पर मरीजों को पूर्ण उपचार तथा फालोअप किया जा रहा है। उपचार हेतु आवश्यक दवाईयां- क्लोराक्वीन, प्राइमाक्वीन एवं एसीटी- निःशुल्क दी जा रही है। सर्वे दल द्वारा अपने सामने ही दवा की खुराक मरीज को खिलाई जा रही है। गंभीर प्रकरण पाये जाने पर समीप के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा जिला चिकित्सालय में रिफर करने की व्यवस्था की गयी है।

उपरोक्त गतिविधियों के साथ-साथ मलेरिया की रोकथाम एवं बचाव हेतु स्थानीय भाषा, बोली में स्वास्थ्य शिक्षा भी दी जा रही है तथा मच्छर पनपने के स्त्रोतों की पहचान कर उन्हें नष्ट किया जा रहा है। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करने हेतु जन सामान्य को लगातार प्रेरित किया जा रहा है। स्थानीय मितानिन द्वारा शाम को नगाड़ा, सीटी बजवाकर मच्छरदानी उपयोग हेतु समुदाय को जागरूक किया जा रहा है ।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.