सीतानदी टाइगर रिज़र्व के कोर इलाके में मिला पहली बार मिला सामुदायिक वन संसाधन अधिकार

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आज गरियाबंद जिले के सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्रों में बसे पांच गांवों को 5553.26 हेक्टेयर के जंगल पर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार सौंपा है। राज्य में टायगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार सौपने का यह पहला मौका है। सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्रों में बसे जिन पांच गांवों अधिकार मान्य करने के बाद छत्तीसगढ़ उन गिने चुने राज्यों में शुमार हो गया है जहां यह अधिकार टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र में भी दिया है।

मुख्यमंत्री ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर उनके निवास में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में गरियाबंद के इन गावों के वन अधिकार समितियों को सामुदायिक वन संसाधन का अधिकार सौंपा गया, इससे इन गांवों में खुशी का माहौल है। गौरतलब है कि इन गांवों में पिछले एक दशक से वन अधिकारों की मांग की जा रही थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मिलने के बाद जंगल और जंगली जानवरों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए गांव के लोग पर इसकी जिम्मेदारी होगी। इससे लोगो में भय का माहौल ख़त्म होगा।

सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्रों में बसे जिन पांच गांवों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दिए गए हैं। इनमें ग्राम मासुलखोई को 975.58 हेक्टेयर करही को 984.92 हेक्टेयर, जोरातराई को 551.42 हेक्टेयर, बरोली को 1389.615 हेक्टेयर और बहिगांव को 1651.725 हेक्टेयर शामिल है।

गौरतलब है कि देश में बहुत की कम टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र में सामुदायिक वन संसाधन मान्य हुए हैं। जिन स्थानों पर अधिकार मान्य हुए हैं, उसमें महाराष्ट्र का मेलघाट टाइगर रिज़र्व और ओडिसा का सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व प्रमुख हैं। सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्रों में बसे जिन पांच गांवों अधिकार मान्य करने के बाद छत्तीसगढ़ उन गिने चुने राज्यों में शुमार हो गया है जहां यह अधिकार टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र में भी दिया है। राज्य में यह पहला मौका है जब टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दिया गया है। पिछले साल सीतानदी के बफर क्षेत्र में ग्राम करका के अधिकार दिए गए थे।

सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त करने वाले जोरातराई की वन अधिकार समिति के अध्यक्ष बीरबल पदमाकर ने कहा कि सामुदायिक वन अधिकार का दावा जमा होने के बाद भी हम कई साल से संर्घष कर रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर आज विश्व आदिवासी दिवस पर हमारी वर्षो पुरानी मांग पूरी कर दी है। बोरई क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य मनोज साक्षी का कहना है कि वन अधिकार कानून में इस बात कर प्रावधान होने के बावजूद पिछले 14 साल में इसका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा था। गांव वालो के निरंतर प्रयास के बाद भी दावा लंबित था। जिला स्तरीय समिति में हमने इस मामले को बार बार उठाया जिसके बाद अधिकार को ले समझ बनी और आज यह अधिकार हमारे हाथ में है। उन्होंने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दिलाने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया।

इस अवसर पर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, आदिमजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, वनमंत्री मोहम्मद अकबर, संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी, संसदीय सचिव द्वारिकाधीश यादव, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी, आदिम जाति विकास विभाग के सचिव डीडी सिंह और आदिम जाति विकास विभाग की आयुक्त शम्मी आबिदी भी उपस्थित थीं।

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